जागरुक होकर खाना

खुशनुमा योगी विश्‍वास करते हैं कि अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छी सामग्री से कुछ अधिक है। खाना बनाते और खाते समय शान्ति और आरामदायक स्थिति में हमारा शरीर और पाचन क्रिया करने वाले अंग को आराम मिलता है। वो अच्‍छी तरह से कार्य करते हैं क्‍योंकि उसी से हरेक सेल में पोशक दृव्‍य पहुंचते हैं।

पाचन तंत्र को और अधिक सहायता हेतु शुद्ध विचारों के द्वारा भोजन को सकारात्‍मक ऊर्जा प्रदान की जा सकती है। यह ऊर्जा हमारे सेल्‍स में शान्ति की धुन की तरह से उतरती है और उन्‍हें सद्भावना के साथ नृत्‍य करने के लिए प्रेरित करती है। हो सकता है कि यह बरसों पुरानी सोच हो लेकिन परिमाण भौतिकी (क्‍वांटम थ्‍यो‍री) के शोध के दौरान डा इमोटो की खोज के अनुसार चीजों पर हमारी स्‍मृति का प्रभाव पड़ता है यह माना गया जो कि इस बात को सम्‍बल देता है। जब सभी वस्‍तुयें हमारी विचारों की ऊर्जा को प्रतिक्रिया देती हैं तो फिर हमारा भोजन क्‍यों नहीं। जिसे हम शरीर में तीन बार जमा करते हैं, तो श्रेष्‍ठ आध्‍यात्मिक ऊर्जा के साथ गाइये।

नीचे दिये गये कुछ नुस्‍खे जागरुक रसोई की आदत को अपनाने की शुरुआत को आसान बना देंगे।

शान्‍तमय स्थिति में खाना बनाने के लिए कुछ नुश्‍खे

  1. सारे दिन में यहां वहां से एकत्रित की गई ऊर्जाओं को स्‍वच्‍छ करने के लिए सबसे पहले एक स्‍नान करें। पानी हमारे शरीर और आत्‍मा को तरोताजा महसूस कराता है। फिर रसोई में एक मधुर संगीत की धुन चलाइये। अपने खाना बनाने की भावना को शान्‍त बनायें जैसे कि योगाभ्‍यास के दौरान होती है, वर्तमान में रहें और सब्जियां काटते, स्‍वच्‍छ करते और पकाते हुए शान्ति का अनुभव करें।
  2. भोजन पकाने से पहले पांच-दस मिनट योग का अभ्‍यास करें। अपने योगाभ्‍यास के दौरान सामान्‍य विचारों को बढ़ावा दें। जैसे कि मैं आत्‍मा बहुत तरोताजा हूँ, शुद्ध हूँ और एक स्‍वच्‍छ प्रकाश हूँ। जैसे ही आप इस विचार पर मन एकाग्र करेंगे, उसका आनन्‍द लें दृश्‍यमान करें। उसे महसूस करें उसका अनुभव करें। उसके बाद अपने रसोई में प्रवेश करें इस भावना के साथ कि वही अनुभव और विचार खाना पकाते समय आप रखेंगे।
  3. भोजन बनाने से पहले कुछ क्षण के लिए रुकें। अपने भोजन में आध्‍यात्मिक प्रेम की शुद्ध शक्ति भरने के लिए अपने साथ ईश्‍वर को भी रसोई में आमंत्रित करें। जब भोजन बना रहे होंगे अपने ऊपर ईश्‍वर को दिव्‍य, शुद्ध और प्रेम की शक्ति के झरने के रूप में देखें। हर पल यह देखें कि वह प्रकाश भोजन के साथ-साथ आपके मन और हृदय में भरता जा रहा है। जब आप भोजन बना रहे हैं तब इस दृश्‍य को मन में बनाये रखें।

शान्‍तमय मन से भोजन करने के तरीके

  1. जब आप भोजन कर रहे होंगे तब उसमें ही पूर्णतय: मन लगाकर भोजन ही करें। मोबाइल अथवा इन्‍टरनेट को देखने की अपनी उत्‍कंठा को रोक कर रखें। शान्तिपूर्वक भोजन करने के इरादे से ही बैठें। हर कौर को 40 बार चबाकर खायें। चबाने के दौरान गिनती करेंगे तो न केवल पाचन शक्ति बेहतर होगी बल्कि आप केवल भोजन पर उपस्थित, शान्‍त और एकाग्र होंगे।
  2. भोजन करने से पहले एक क्षण के लिए स्‍वयं को जागृत करें कि आप एक आत्‍मा हैं और यह शरीर निमित्त मात्र है जो आप आत्‍मा को इस भौतिक दुनिया के नजारे, आवाज और जिन्‍दगी के दृश्‍यों को अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है। भोजन करना एक तरीका है जो आपके शरीर को स्‍वस्‍थ पोषण प्रदान करता है।
  3. हर निवाला को ग्रहण करने के दौरान कल्‍पना करें कि आप उस भोजन को शुद्ध, स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक प्रकाश से भरपूर कर रहे हैं। जब आप उसे निगल रहे होंगे कल्‍पना करें कि वो प्रकाश आपके शरीर के हरेक कोशिकाओं में भरता जा रहा है, जिससे आपका शरीर स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक बनता जा रहा है और इसे समरसता और सन्‍तुलन प्राप्‍त हो रहा है।
  4. भोजन करते समय एक सहज विचार पर स्थित रहने का मन बनाये, एक विचार लें, मैं एक शान्‍त स्‍वरूप आत्‍मा हूँ। जब आप भोजन का स्‍वाद ले रहे होंगे तब आप अपने विचारों का भी आनन्‍द लें। इसे महसूस करने और अनुभव करने का अवसर दें। अगर आपका मन भटकता है तो अपने उसी एक विचार पर स्‍वाभाविक रूप से वापस आ जायें, और देखें कि आप भोजन के दौरान उस पर कितना टिक पाते हैं।

दवा के रूप में भोजन

नींबू

  • नींबू का खट्टा स्‍वाद – यह फल पेरिस्‍टलसिस की वृद्धि करने में सक्षम है, प्ररिस्‍टलसिस यानि आंतों की सक्रियता जो आंतों से मल निकालने तथा नियमितता को बेतहर बनाने में मदद करता है। ताजा नींबू यकृत को शुद्ध करता है। अलसुबह अच्‍छी तरह से पेट साफ करने के लिए गुनगुने पानी में एक नींबू का रस मिलाकर पिये।
  • नींबू में लिमोनिन सहित 22 कैंसर रोधी तत्‍व पाये जाते हैं। लिमोनिन – एक प्राकृतिक तेल है जो पशुओं में ट्यूमर की वृद्धि होने की सम्‍भावना को धीमा करता है या पूरा रोक देता है। नींबू में फलैबोनॉल ग्‍लाइकोसाइट नामक तत्‍व भी पाये जाते हैं जो कैंसर की कोशिकाओं का विभाजन रोकती है।
  • नींबू में विटामिन सी और फलैबोनाइटस प्रचुर मात्रा में होते हैं जो संक्रमण को रोकने में सहायक है। इनमें विटामिन सी, साइट्रिक एसिट फलौबोनाइटस, बी कॉम्‍पलेक्‍स, कैल्‍सियम, कॉपर, आयरन, मैगनीसियम, फासफोरस, पो‍टेशियम,और रेशे भी पाये जाते हैं।
  • हालांकि नींबू अम्‍लीय होते हैं किन्‍तु वे शरीर के मेटाबालिजम से जुड़कर शरीर के तरल पदार्थों पर एल्‍कलाइजिंग प्रभाव डालते हुए शरीर की पीएच को पुन: सन्‍तुलित करते हैं।

जौ

  • जौ आवश्‍यक विटामिन्‍स जैसे कि थायमिन, फोलिक एसिड, बायोटिन, पैन्‍टोथैनिक एसिड, विटामिन ई आदि का अच्‍छा स्रोत है। इनमें जिंक, सेलेनियम, कॉपर, आयरन, मैगनीज, और मैगनीशियम भी पाये जाते हैं।
  • जौ सैलेनियम का बहुत अच्‍छा स्रोत है। सेलेनियम एक ऐसा एण्‍टी ऑक्‍सीडेन्‍ट है जो विटामिन ई के साथ मिलकर कई तरीके शरीर के महत्‍वपूर्ण एन्‍टी ऑक्‍सीडेन्‍ट सिस्‍टम पर काम करता है। ऐसी शक्तिशाली एन्‍टी ऑक्‍सीडेन्‍ट क्रियायें सेलेनियम को अस्‍थमा के लक्षण होने को रोकने में मदद करती हैं, साथ ही हृदय रोग होने से बचाती हैं। इसके अलावा सेनेनियम डीएनए भी रिपेयर करता है और विशेष आंतों का कैंसर रोकने में कारगर है।
  • जौ में प्रचुर मात्रा में रेशा है जो पाचन तंत्र से कोलेस्‍ट्रोल को सुधारने में मदद करता है जिससे वो रक्‍तवा‍हिनी में नहीं पहुंच पाता है। घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के रेशे जौ में प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। अघुलनशील रेशा पानी में नहीं घुलता है। यह स्‍पंजी है जो अपने से कई गुना ज्‍यादा तरल को सोंख लेता है। यह मल को भारी करके उसे अच्‍छी तरह से बाहर निकाल देता है जिससे हम कब्जियत से बच जाते हैं।
  • अन्‍य अनाजों की अपेक्षा जौ में सन्‍तुलित प्रोटीन अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसमें सन्‍तुलित मात्रा आवश्‍यक फैटी ऐसिड पाये जाते हैं जिसे दीर्घ आयु और सामान्‍य सुस्‍वास्‍थ्‍य के साथ जोड़ा गया है, साथ ही किसी भी अनाज से बेहतर अमीनो एसिड पाया गया है। एमीनो एसिड आवश्‍यक प्रोटीन है जो शरीर का सामान्‍य प्रक्रियाओं में मदद करता है।

 

पिस्‍ता

  • पिस्‍ता खनिजों का भण्‍डार है, जैसे कि कपर, मैगनीज, पोटैशियम, कैल्‍सियम, आयरन, मैग्‍नीशियम, जिंक, सेलेनियम आदि। इसमें बहुत कम कैलोरी पायी जाती है। दूसरे गिरियों (नट्स) की अपेक्षा इसमें पोटैशियम और विटामिन K अधिक मात्रा में है।
  • इसमें कई आवश्‍यक बी काम्‍पलेक्‍स जैसे राइबो फ़लैबिन, नियासिन, थाइमिन, पैन्‍टौथेनिक एसिड, विटामिन B6, फौलेडस आदि है।
  • मायोक्लिनिक के अनुसार पिस्‍ते में l-arginine है, जो आपके हृदय की धमनियों की दीवारों को लचीला बनाता है और उसमें थक्‍के बनने की प्रक्रिया को कम करता है, जिससे कि हार्ट अटैक होता है। पिस्‍ते में विटामिन ई भी प्रचुर मात्रा में होता है जिससे कि हृदय की धमनियां पट्टिकाओं से भरा हुआ बना देता है।
  • पिस्‍ता कैरोटीन के साथ विटामिन ई और पोलीफिनॉलिक एन्‍टी ऑसीडेन्‍ट का भरपूर स्रोत है। वैज्ञानिकों ने अपने अध्‍ययन के द्वारा सलाह दी है कि पिस्‍ते में पाये जाने वाले इस तरह के कम्‍पोन्‍टस से मनुष्‍य शरीर के विषैले आक्‍सीजन के कणों को कम करते है, जिससे शरीर बीमारियों और कैंसर जैसे संक्रमणों से भी मुक्‍त रहता है।
  • पिस्‍ता हमारे भोजन के प्रोटीन तत्‍व की कमी को पूरा करता है। इन गिरियों को अनाज, सब्जियां, फल और अन्‍य बीजों के साथ मिलाइये जिससे आपको स्‍वस्‍थ्‍य शरीर के लिए आवश्‍यक प्रोटीन की पूर्ति हो जायेगी।

पालक

  • यह पत्तेदार सब्‍जी विटामिन K, विटामिन A, मैग्‍नीशियम, पौलेट, मैगनीज, आयरन, कैल्सियम, विटामिन C, विटामिन B2, पोटैशियम और विटामिन B6 का सर्वोत्तम स्रोत है। यह प्रोटीन, फासफोरस, विटामिन E, जिंक, रेशा और कॉपर का भी बहुत अच्‍छा स्रोत है। इसके साथ ही यह सैलेनियम, नियासिन और ओमेगा फैटी ऐसिड का भी भरपूर स्रोत है।
  • पालक फ्लोबोनाइट से भी भरपूर है जो एन्‍टी आक्‍सीडेन्‍ट का काम करता है, जो शरीर को रेडिकल्‍स से बचाव करते हैं।
  • शोधकर्ताओं ने लगभग 13 तरह के फ्लोनाइड कम्‍पोनेन्‍टस की खोज पालक में की है जो कैंसर कारक तत्‍व से रोकथाम करता है। पालक में जो विभिन्‍न पोषक तत्‍व होते हैं जिससे अलग-अलग प्रकार के रोगों से सुरक्षा होती है।
  • पालक विटामिन C और एक का एक अद्भूत स्रोत है जो केलेस्‍ट्रोल की रोकथाम करता है।
  • पालक प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। एक पालक में 337 प्रतिशत से भी अधिक विटामिन A का आरडीए होता है जो कि मानव शरीर ग्रहण करने वाले दरवाजों की ना केवल शक्ति बढ़ाता है बल्कि उनकी सुरक्षा भी करता है, जैसे कि श्‍लेष्‍मा झिल्‍ली, श्‍वसन, मूत्र एवं पाचन तंत्र। इसके अलावा पालक में ऐसे तत्‍व है जो शरीर के सफेद कोशिकाओं को बढ़ाता है जो कि संक्रमण की रोकथाम करते हैं।
  • पालक मस्तिष्‍क और तंत्रिका तंत्र को भी मदद करता है। पालक में पाये जाने वाला विटामिन K स्‍वस्‍थ तंत्रिका तंत्र और दिमाग के स्‍वस्‍थ क्रियान्‍वयन में सहायक साबित होता है। यह एक वसा है जो नसों के आस-पास माइलिन आवरण को बनाता है जिससे संश्‍लेषण के लिए एक आवश्‍यक हिस्‍सा बनता है।

नोट:- पालक ऐसी सब्‍जी है जिसमें बहुत अधिक कीटनाशक इस्‍तेमाल किये जाते हैं, इसलिए अगर सम्‍भव हो तो आर्गेनिक पालक का प्रयोग करें।

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