हमारे आहार को आध्यात्मिक बनाने का क्या अर्थ है? यह किसी प्राचीन अथवा आधुनिक सिद्धान्तों को अपनाना कि क्या खाना चाहिए उससे कहीं ज्यादा है। जब हम अपनी सत्य स्वरूप तथा जीवन शक्ति से जुड़ते हैं तो हमें पता चलता है कि यह जीवन से सम्बन्धित है। चाहे हम अपनी आत्मा से जुड़े, चाहें शरीर से अथवा प्राकृतिक दुनिया से सभी सम्बन्धों को एकता, सम्भाल और ज्ञान से ओतप्रोत करना ही योगी की कला है।
हालांकि स्वादिष्ट भोजन एक आनन्द देता है, लेकिन भोजन करना आनन्द से भी ऊपर है। यह शरीर का, प्रकृति तथा सभी प्राणी मात्र के सन्तुलन का उच्च स्तर की सम्भाल है। निम्नलिखित कुछ विचार है योगी भोजन के लिए।
अहिंसा
एक योगी यह समझता है कि पवित्र तथा धार्मिक कार्य हमें आन्तरिक शान्ति तथा स्वतंत्रता दिलाते है। कोई भी कर्म के पीछे प्रेम ही उच्चतम भावना है। जब हम अपनी आध्यात्मिक प्रकम्पनों का उत्सर्जन करते हैं तो हमारा विवेक किसी भी प्राणी को चाहे सूक्ष्म चाहे मोटे रूप में ही किसी का नुकसान करने नहीं देता है। हमारा भोजन कहां से आता है अथवा इसे सम्मान के साथ उगाया है इसके प्रति हम जागृत हो जाते हैं। अंहिसा की जिन्दगी मन को मधुर और आत्मा को शान्त कर देता है पर यह उन लोगों के लिए चुनौती हैं जो आध्यात्मिक पथ में नये हैं, किन्तु एक कोशिश भी महत्वपूर्ण है। प्रयोग के द्वारा हम देख सकते हैं कि कैसे इस तरह का भोजन हमारे मन पर शान्ति का प्रभाव छोड़ता है।
प्रकृति के करीब, घर के पास
प्राकृतिक रूप से उगाया भोजन
अक्सर जिन्दगी की गहरी सच्चाई बहुत सहज होती है। जब हम अपनी प्राकृतिक स्वभाव की ओर लौटते हैं तो हमें यह वास्तविक भोजन की समझ देती है। ब्रह्माण्ड, प्रकृति के तत्व और हमारे शरीर बेहद बुद्धिवान हैं। फल, सब्जियां, अनाज और गिरी (नट्स) अपनी प्राकृतिक रूप से हमें इसी बुद्धिमत्ता की तरफ ले जाते हुए हमें इसके फायदों से पोषित करती है।
स्थानीय उगाया हुआ भोजन
स्थानीय भोजन मौसम के अनुसार होते हैं और बेहतर स्वाद देते हैं। स्थानीय भोजन करना, प्रकृति और समाज के लिए एक उपहार है। जहां हम रहते हैं वहॉं के उगाये गये भोजन खरीदने से हम अपनी खेती-बाड़ी और हमारे आस-पास की हरियाली को बनाये रखने में मदद करते हैं। इसके साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को बनाये रखने में मदद करते हैं तथा बड़े उद्योगों के बजाए हम छोटे व्यवसायों का आधार बनते हैं। हमारा भोजन कहां से आता है इसे जानने से हम उन लोगों से जुड़ते हैं जो इसे उगाते हैं और जहां लगाव है वहां एकता, सम्भाल तथा जवाबदारी बढ़ जाती है।
सहज ज्ञानयुक्त भोजन
एक आदर्श स्वास्थ्यवर्धक आहार पर अनगिनत सिद्धान्त मिलेंगे, हमें कैसे पता चलेगा कि किसे मानना है। अच्छी बात यह है कि हमें सिर्फ अपने अन्दर जाना है, जैसे हम गहराई में उतरते हैं हमारे अन्दर स्थिरता की शक्ति, ज्ञान बोध बढ़ जाता है। हरेक आहार के साथ हम देख सकते हैं कि कैसे कुछ भोजन हमारी मनोस्थिति तथा शक्तियों पर प्रभाव डालते हैं। जब हम सुनते हैं तो हमें मालूम पड़ता है कि हमारा शरीर वास्तविक रूप से क्या चाहते हैं। इसकी प्रतिक्रिया में यह हमारी जिम्मेवारी बन जाती है कि हम हमारे शरीर और आत्मा को उन भोजन से पोषित करें जो हमारी शक्ति को बढ़ायें, कोशिकाओं को जीवन्त बनाये तथा जीवन शक्ति को पुन: संचित कर दे। हम में से हरेक अद्वितीय है, तथा स्वास्थ्य, समृद्धि तथा खुशी की ऊंची मंजिल का रास्ता हमारे अन्दर ही निहित है।