काम पर आध्यात्मिकता

यहाँ काम पर हर रोज स्थितियों से निपटने के लिए आध्यात्मिक शक्ति का उपयोग करने के कुछ उदाहरण हैं।

सम्‍मान देने की शक्ति से अपने जीवन के विघ्‍नों को सम्‍भालना

मैं एक शान्ति सभा में था। उस समय एक सेवानिवृत्त वृद्ध सैनिक विचलित हुआ और उसके बीच में वक्‍ता के भाषण को काटते हुए कहा कि हम अपनी जिन्‍दगी दांव पर लगाकर जंग लड़ी वो भी तुम जैसे लोगों के लिए। वक्‍ता ने व्‍यक्ति को बड़े आदर से सुना और निष्‍ठा के साथ बताया कि इन्‍होंने क्‍या समझा और व्‍यक्ति ने क्‍या महसूस किया। फलत: वह व्‍यक्ति सामने आकर बैठा और वक्‍ता को ध्‍यान से सुनने लगा। वक्‍ता के सम्‍मान से उस व्‍यक्ति का रवैया बिल्‍कुल बदल गया। -CH

समेटने की शक्ति द्वारा ऐसे व्‍यक्ति को सम्‍भालना जो आपको पसन्‍द नहीं करता

पहले दिन से ही मेरे नयी लगी नौकरी से रिसेप्‍शनिष्‍ट मुझे नापसन्‍द करती थी। मुझे इस तरह की अस्‍वीकृति की जानकारी नहीं थी इसलिए इस रिश्‍ते को किसी भी तरह से परिवर्तन करना मुझे चुनौतीपूर्ण लगा। मेरे आध्‍यात्मिक अध्‍ययन में समेटने की शक्ति का उल्‍लेख था। मैंने अपने नोट्स का पुन: अवलोकन किया और इस पर एक सप्‍ताह तक योगाभ्‍यास किया, मैंने स्‍वयं को तैयार कर सप्‍ताह की नई शुरुआत के साथ कार्यालय पहुंचा। मैंने अपनी सभी नकारात्‍मक विचार और पूर्वाग्रहों को समेटते हुए उसे देखा कि जिन्‍हें वह पसन्‍द करी थी उनसे उनका कैसा व्‍यवहार है। उनके प्रति वो बहुत परवाह करती और उदार भी थी। इस निरीक्षण से मेरा दृष्टिकोण बदल गया और एक सप्‍ताह के भीतर वो मुझे भी मुस्‍कान से स्‍वागत करने लगी और यहां तक रोज की कॉफी आर्डर में मेरा नाम भी सुझाया। उसके बाद से हम घनिष्‍ठ मित्र की तरह रहने लगे। -JY

छोड़ देने की शक्ति द्वारा नौकरी की तलाश

इस वर्ष मेरे पास नौकरी के इन्‍टरव्‍यू का तांता लगा हुआ था। मेरे पास अनुभवों की सम्‍पन्‍नता होने के बावजूद लगातार अस्‍वीकृति से मैं निराश होता जा रहा था। मैंने स्‍वयं को नवीन तरीके से देखा और अपनी ताकत और कमजोरियों का अवलोकन किया। मैंने खुद को सिखाया कि कैसे अपनी कमियों को छोड़ा जाए, उसे ठीक किया जाये और अगले कदम की ओर आगे बढ़ा जाये। इस पहल ने मुझे अपने अन्‍दर खुलापन ला दिया, एक नयेपन के साथ जो एक लहर के साथ चलते हुए मेरे सामने जो भी बातें आयें उसे बिना किसी अवधारणा के स्‍वीकार कर खुद को तनाव से मुक्‍त कर दें। इस प्रक्रिया से मैंने महसूस किया कि सबकुछ इस दृष्टिकोण पर निर्भर करता है । मुझे एक महीने के अन्‍दर नौकरी मिल गई और मैं उस वक्‍त के लिए आभारी हूँ जो मुझे अपने चरित्र को संवारने का मौका दिया। -AZ

विदेश की सभा में भाषण करने के लिए शान्ति की शक्ति की मदद

मैं विदेश की एक सभा में भाषण करने जा रहा था जो मेरी नौकरी का हिस्‍सा थी। कुछ ही मिनटों में, सभा में लोग विचलित होने लगे। वे अनुवाद से असन्‍तुष्‍ट थे। सभी प्रकार की बहसबाजी छिड़ गई। जब तक हम कुछ तकनीकि सुधार करते मैंने योगाभ्‍यास करने का सुझाव दिया। अगले ही पल पूरी भीड़ में एक अदम्‍य शान्ति की लहर फैल गई। इस शान्ति की लहर से पूरे वातावरण में स्थिरता आ गई। वार्तालाप फिर चालू की और संध्‍या के समापन में सबने बताया कि उन्‍हें प्रोग्राम कितना पसन्‍द आया। -CH

समाने की शक्ति द्वारा कर्मचारियों की शिकायतों को निपटाना

कार्यस्‍थल पर मेरे पास कई ऐसे लोग आते हैं जो दूसरों की भूल की हुई बातें सुनाते हैं। यहॉं तक कि खुद के द्वारा की गई गलतियॉं जिसका उन्‍हें अफसोस भी है वो भी बताते हैं। इन फरियादों को सम्‍भालने के लिए मैंने तीन कदमों को अपनाया। पहले मैं उनकी असन्‍तुष्‍टता को जानकर फिर एक क्षण के लिए परमपिता परमात्‍मा का ध्‍यान लगाता हूँ जो कि प्‍यार का सागर हैं। दूसरा, जो भी लोगों ने कहा उन सभी बातों सहित अपने मन को परमात्‍म प्रेम में लवलीन कर देता हूँ। तीसरा, बीती को बीती अनुभव कर मन साफ हो जाता है। और मुझे लगता है कि मैं उन बातों को जानें दूं, क्षमाशील बन भूल जाऊं चाहे कोई मेरा अपमान ही क्‍यों न कर दे। सभी के गुणों पर ध्‍यान देते हुए मैं उनकी कमियों को मन से खत्‍म कर देता हूँ। -SS

विस्‍तार को संकीर्ण करने की शक्ति का उपयोग करते हुए जन-सम्‍पर्क में कार्य करना

मैं एक कार्यालय का प्रबन्‍धक हूँ। मुझे ईमेल का जवाब, फोन पर बातचीत वा किसी व्‍यक्ति से वार्तालाप करनी होती है। जैसे ही वो पूर्ण होता है मैं थोड़ा निजी समय लेते हुए योगाभ्‍यास में अपने मन को उस सर्वोच्‍च स्‍थान, परमधाम में ले जाकर परमपिता परमात्‍मा के समीप जाकर बैठ जाता हूँ, तब मुझ आत्‍मा के अन्‍दर करुणा और आध्‍यात्मिक शक्ति भरते हुए प्रेम और शक्ति का प्रवाह महसूस करता हूँ। फिर अपने आपको तरोताजा करते हुए कर्मस्‍थल पर वापस आ जाता हूँ। -SS

न्‍यारे होने की शक्ति द्वारा लम्‍बी मीटिंग्स को सम्‍भालना

एक लम्‍बी मीटिंग के दौरान मुझे इस बात से हैरानी थी कि कैसे मैं इस वार्तालाप में महत्‍वपूर्ण योगदान दे सकता हूँ। लेकिन एक क्षण के लिए अपनी नज़रों को पूरे कमरे में दौड़ाते हुए अपने मन को खोला कि कौन सी बात मेरे लिए सबसे महत्‍वपूर्ण है। अगले ही पल मैंने एक आध्‍यात्मिक सुनामी जितनी शक्तिशाली प्रेम की लहर से स्‍वयं को धुला हुआ महसूस किया और मेरी नज़र एक ऐसे व्‍यक्ति पर पड़ी जो पहले इतना काम नहीं करता था। थोड़ा रुककर मैंने ये पाया कि उस व्‍यक्ति की सच्‍ची कीमत और इस मीटिंग में कितना मूल्‍यवान योगदान है। इस नये पहलू की सौगात ने मुझे आश्‍चर्यचकित कर दिया। मेरे दैनिक योगाभ्‍यास ने मुझे मेरे दृष्टिकोण को नया बनाने की दिशा दिखाई। इससे मुझे मालुम पड़ा कि सकारात्‍मक तरीके से भी मीटिंग में लोगों के साथ व्‍यस्‍त हो सकता हूँ। -VB

परिवर्तन की शक्ति द्वारा एक जटिल स्‍वभाव की सम्‍भाल करना

मेरे एक दोस्‍त ने कहा कि जब भी वो गलती करते हैं तो वो स्‍वयं को बहुत सारा प्रेम देते हैं। मैंने सोचा कि ये तो नया ख्‍याल है क्‍योंकि मेरे व्‍यक्तित्‍व में एक खामी यह भी रही है कि मैं स्‍वयं के साथ बहुत सख्‍त रहा हूँ। मैं अक्‍सर लोगों को जितना हो सके सहन कर लेता हूँ लेकिन जब स्‍वयं के साथ सहनशील, क्षमाशील और मीठा बनने की बारी आती है तो मामला दूसरा ही होता है। इसलिए समय रहते अनजाने में मेरा रवैया और व्‍यवहार दूसरों के प्रति भी आलोचनात्‍मक रहा। फलस्‍वरूप मुझे महसूस हुआ कि मैंने सहनशीलता की स्थिरता के मायने को गलत समझा है। जैसे कि मैं सोचता था कि इस व्‍यक्ति वा परिस्थिति को जब जितना सह सकता था सह लिया अब और नहीं।

इस सम्‍बन्‍ध में मैंने अब नये तरीके से सोचना और अभ्‍यास करना शुरू कर दिया। मैंने जितनी बार भी कुछ गलत कहा वा किया और खुद पर सख्‍ती में आया तो सीधे मैं अपनी मनपसन्‍द योग स्‍थल पर चला जाता था और स्‍वयं को प्रेम भरे प्रकम्‍पन्‍न देना शुरू कर देता था। मैं तब तक वहां से नहीं उठता था जब तक कि मेरी आन्‍तरिक शक्ति समझदारी, करुणा या क्षमा का स्‍वरूप नहीं ले लेता। यह सहनशीलता से निकले गुण ही हैं। फलस्‍वरूप मुझे अद्भुत परिणाम अनुभव हुए।

मैंने अपने जीवन में और प्रेम की भावना का आह्वान शुरू कर दिया। इससे मैं जो हूँ, जैसा हूँ वैसा स्‍वयं को स्‍वीकार करने में सहज हो गया और दूसरों को भी मेरे साथ होने में आसानी हो गई और जाहिर बात थी कि मेरी जिन्‍दगी में बहुत सारे सहयोगी और दिलचस्‍प लोग भी आये। वास्‍तव में सहनशीलता की कोई सीमा नहीं होती। ये तो जीवन की वो राह है जिसकी शुरुआत खुद की गहरी सराहना और प्रेम से शुरू होती है। -SO

परखने की शक्ति द्वारा कार्यस्‍थल पर दूसरों को सशक्‍त करना

मेरे रोजगार की आधारशिला आध्‍यात्मिक परिप्रेक्ष्‍य है। मुझे लगता है कि विपरीत परिस्थितियों और लोगों की रहनुनुमाई मेरे अन्‍दर बहुत सही शक्तियां भरती है। योग के बिना मैं ना ही खुद की समस्‍याओं को भी सुलझा पाता और ना ही एक अच्‍छा वकील बनकर टिक पाता। लेकिन अब मैं लोगों को उनकी समस्‍याओं का समाधान करने में मदद करने की पूरी जिम्‍मेवारी ले पा रहा हूँ। हालांकि इसमें वक्‍त लगा लेकिन यह परिवर्तन मुझमें योग के द्वारा ही आया और योग ने ही मुझे सशक्‍त बनाया।

योग मेरे मन और विचार को काफी साफ-सुथरा बना देता है। पहले मैं यही सोचकर बोझिल हो जाता था कि मुझे ही मुवक्किल के लिए सबकुछ करना पड़ेगा, किन्‍तु अब मुझे अपनी भूमिका बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट हो गई है और उस मुवक्किल की जिम्‍मेवारी भी स्‍पष्‍ट हो गई है जो मेरे पास राय-मशविरे के लिए आता है। यहां तक कि वो अपनी समस्‍या मुझ पर थोपने की कोशिश भी करते हैं लेकिन मुझे मालुम है कि दूसरों की समस्‍याओं का निदान करने की जिम्‍मेवारी पूर्णतया खुद पर लेने से वो और निशक्‍त हो जायेंगे। इसके बजाए अब मैं उन्‍हें अपनी जिम्‍मेवारी खुद सम्‍भालने के लिए प्रोत्‍साहित करने में ध्‍यान देता हूँ और उन्‍हें जो बिल्‍कुल उचित लगे उस परिणाम तक पहुंचने के लिए जिन कानूनी प्रक्रियाओं की जरूरत हो उसका उपयोग करने का रास्‍ता दिखाता हूँ। —DH

समाने की शक्ति द्वारा किसी अप्रिय घटना को स्‍वीकार करना

कुछ वर्ष पहले एक कप चाय के दौरान मेरे एक दोस्‍त ने अपना विचार दिया कि "जो होना होता है वो होकर ही रहता है"। उसके इन शब्‍दों को सुनकर मैं अचम्भित हो गया और अजीब सा लगा, लेकिन उसने मुझे इस विचार का प्रयोग करने के लिए प्रोत्‍साहित किया उन मुश्किल हालात में भी जब मेरे भाई की एक औद्योगिक दुर्घटना में मृत्‍यु हो गई। तब इस विचार ने मेरे अन्‍दर एक समझ पैदा कर दी और ऐसे सख्‍त, पीड़ादायक परिस्थिति में भी शान्‍त और सहनशील बनने में मदद भी की। इससे मेरे अन्‍दर एक गहरी स्‍वीकार्यता की भावना आ गई।

जब मैं इस विचार को अपने मन में लाता हूँ तब परिस्थितियों से लड़ने में अपनी शक्ति व्‍यर्थ नहीं गंवाता। मुझे ये भी याद है कि मुझे इसके पीछे की वजन नज़र ना भी आये लेकिन सभी घटनायें घटित होने के पीछे कोई वजह जरूर होती है। जब मैं इस बात को स्‍वीकार कर लेता हूँ तो मैं अपनी शक्ति आगे बढ़ने में लगा देता हूँ ताकि कोई निदान निकल कर आ जाये। -TW 

शान्ति की शक्ति द्वारा अपेक्षाओं से मुक्‍त होना

नये कार्यालय की ओर जाना मेरे लिए तनावपूर्ण था। बहुत सारी बातें मुझ पर निर्भर कर रही थी और उन्‍हें अच्‍छी तरह से सम्‍भाल पाने का मुझे संशय था। फलत: संशय और तनाव मेरे मन में घर करने लगे जिससे मुश्किलें और बढ़ गई। मैं ऐसी बातें बोलने लगा जिसका मुझे बाद में अफसोस होता। मेरे निर्णय अस्थिर होने लगे और मेरा मन बार-बार बदलने लगा था।

इसलिए मैंने इस पर विचार किया और पाया कि मुझे एक अलग दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। इस तरह मैंने बीच-बीच में शान्‍त रहने का मन बना दिया क्‍योंकि यही मेरा अधिकार भी और कर्तव्‍य भी था। मैं अब गहरी शान्ति में जाने लगा जिसमें यह अहसास होता था कि शान्‍त स्‍वरूप ही मेरी निज स्‍वतंत्रता है। मैंने बीच-बीच में रुककर शान्‍त होना सीख लिया। इस शान्ति से मुझे इस बात का भी पता चला कि सब अपने नज़रिये पर निर्भर करता है जो सिर्फ एक कदम की दूरी पर ही होती है। कदम-दर-कदम, मैंने और मेरी मण्‍डली ने कार्यालय को पुन: सम्‍भालते हुए अपने दैनिक कार्य में ढल गये।-VB

न्‍यारेपन की शक्ति द्वारा दूसरों की परेशान करने वाली मनोवृत्ति से खुद को सम्‍भालना

सब कुछ अंधकारपूर्ण नज़र आ रहा था। मेरे सहकर्मी जार्ज की खराब मनोदशा और अन्‍यायपूर्ण व्‍यवहार को मैं अब और नहीं सहन कर सकता था। वो सभी कर्मचारियों के साथ बुरा पेश आ रहा था और उसके शब्‍द दुखदाई थे। एक पल के लिए मैं बैठा, मेरे मन और ध्‍यान को उस एक परमात्‍मा के मधुर उपस्थिति को अनुभव में लाते हुए ये सोचा कि कौन सी सुमति मेरे काम आयेगी। इसी सुन्‍दर, हार्दिक और पवित्र प्रकम्‍पन्‍न में रहकर मन में आया कि मेरी इस क्षुब्‍ध प्रतिक्रिया का नियंत्रण मेरे हाथ में है। मैंने एक प्रेमपूर्ण मनोदशा का चयन किया और पाया कि मैं उसके नकारात्‍मकता से बिना प्रभावित हुए भी कार्य कर सकता हूँ। -VB

सम्‍भालने की कला (शक्ति) द्वारा एक टूटे हुए यंत्र की परवाह करना

मैंने फोन उठाया और उधर से आवाज आई "क्‍या तुम आ सकते हो? मेरे अनुमान से यह टूट गया है, क्‍या मूर्खता है….. यह लापरवाही है"! मैं यही कहने वाला था कि खुद को रोककर सामान्‍य हुआ। मैं इस तरह शिकायत नहीं करना चाहता था। मैं बड़ी आसानी से ऐसी प्रतिक्रिया दे सकता था। मैंने अपने को सम्‍भालते हुए कहा "क्‍या तुम ठीक हो? मैं समझ सकता हूँ कि कितनी आसानी से ये टूट जाती है और मुझे मालुम है कि इसे फिर से कैसे ठीक करना है। मैं बस, रास्‍ते में ही हूँ।" किसी के द्वारा की गई आलोचना हमें अंदर तक काट देती है, विशेषकर तब जब हमें मालुम होता है कि हमने कोई गलती की है। इस एक पाठ को सीखने में मधुरता उतनी ही लाभदायक होती है जितना कि एक दवाई निगलने के साथ एक चम्मच चीनी कारगर होती है। -DS

प्रेम की शक्ति द्वारा अवधारणा बना लेने से परे रहना

मेरे पास ऐसे परिवार भेजे जाते हैं जिन्‍हें मुझे परवरिश करने की कुशलता में निपुण होने में मदद करनी होती है। ये मात-पिता बाल सुरक्षा सेवायें, स्‍कूल अथवा दूसरे पेशेवर लोगों द्वारा भेजे जाते हैं। जाहिर बात है कि ये आधार वे स्‍वेच्‍छा से नहीं लेना चाहते हैं। एक समाज सेवक के रूप में, मेरा यही प्रयास होता है कि ये माता-पिता अपने ऊपर राय थोपने जैसा महसूस न करें ताकि वो अपना बचाव करना कम करें और स्‍वीकार कर ये बात मान लें कि उन्‍हें इसके लिए एक आधार की जरूरत है। मैंने ये पाया कि प्रेम भरे नज़रिये से दी गई आध्‍यात्मिक पहलुओं की अनुकम्‍पा वार्तालाप की कमी को भर देता है और सही शब्‍दों का इस्‍तेमाल करने में राह दिखाता है। मेरा दैनिक योगाभ्‍यास मेरी इसी काबिलियत को उच्‍चतम कर देता है। जिससे मैं प्रेम और विधान, दया और अनुशासन, क्षमा करना और न्‍यारा बन जाना आदि सबके बीच सन्‍तुलन रख पाती हूँ। मैं इसे रूहानी प्रेम कहती हूँ। -RS

सहयोग की शक्ति द्वारा दूसरे की मदद करना

जॉन मेरी मेज पर आया। स्‍कूल के प्रशिक्षक बीमार हो जाने के कारण उनके स्‍थान पर दूसरे शिक्षक की उसे दो घण्‍टे के अन्‍दर जरूरत आन पड़ी, जो स्‍कूल समाप्ति के बाद सिखा सके। मुझे मालुम था कि मैं चाहता तो उसकी मदद कर सकता था लेकिन मेरी इच्‍छा नहीं थी। मैं महसूस करता हूँ कि मेरे अन्‍दर कोई सहयोग की भावना नहीं थी और इसलिए मैं उस समय बहाने खोज रहा था। तब मुझे याद आया कि गत सप्‍ताह मैं एक संकट में पड़ गया था। सड़क पर मेरी गाड़ी का टायर पंचर हो गया था। तभी एक बहादुर ड्राइवर ने गाड़ी को उठाते हुए मुझे सहयोग किया था। इसी क्षणिक वाक्‍ये ने मेरी सोच को पुन: ठीक कर दिया और मैं बहाना नहीं कर पाया। मैंने उसे दिल से कहा, "हां, मैं वहां पहुंच जाऊंगा"। जब कोई प्रतिरोध न हो, कोई भी प्रकार का स्‍वार्थ न हो और चाहे कुछ भी हो मैं किसी भी तरह से किसी की खुशी से मदद कर सकूँ उसे ही तो सच्‍चा सहयोग कहते हैं। मुझे खुशी है कि मुझे वो स्‍थान मिला। -DS

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